Tuesday, 29 May 2012

Welcome to Dhakad Samaj

मथुरा नरेश महाराज सुरसेन के सुपुत्र महाराज वसुदेव हुए l

महाराज वसुदेव की पत्नी रोहिणी ने बलराम एवम् देवकी ने

श्रीकृष्ण को जन्म दिया l शेषनाग के अवतार श्रीलक्ष्मण के

अवतार श्रीबलराम हे l आपने हल को कृषि यंत्र रूप मे व युद्ध

मे शस्त्र के रूप मे उपयोग किया l इसीलिए आप हलधर कहलाए l

अपने कृषि कार्य को प्रमुखता दी व इसके विकास मे महत्वपूर्ण योगदान

दिया l हमारा समाज भी खेतीहर समाज हे l भगवान हलधर धारणीधर

श्री बलराम हमारे पूज्‍यनीय हे l धारणीधर भगवान का प्रसिद्ध मंदिर

मान्डूकला (राजस्थान) मे सुंदर तालाब के किनारे शोभमान हे l

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संक्षिप्त परिचय

 

धाकड पुराण के अनुसार ''धाकड़ क्षत्रिय'' समूह का उद्भव महाभारत काल में हुआ। ''धाकड क्षत्रिय'' समूह लगभग बारहवीं शताब्दी के बाद एक जाति के रूप में परिणित हुआ। ''धाकड '' ऐतिहासिक क्षत्रिय वंशजों में से बने हुयेएक समूह का नाम है, जिसका मूल पेशा कृषि है। कालान्तर में यह जाति रूप में परिवर्तित हो गया। बहुत समय पहले की धाकड क्षत्रियों के विषय में यह कहावत सुनी जाती है- ''धाकड लाकड सायर सा, नर बारे नल वंश'' अर्थात् नर बर के राजा नल के वंशज धाकड सायर की लकडी के समान मजबूत थे। ''धाकड'' क्षत्रियों के विषय में एक अंग्रेज सेना नायक जेम्स मेड्रिड ने कहा था कि -''धाकड क्षत्री'' अफगानी घोड ों की तरह मजबूत, कुशल तथा चतुर लडाकू हैं। आजकल ''धाकड'' शब्द का प्रयोग तेजतर्रार, वीरता और मजबूती का भाव प्रकट करने के लिए किया जाता है। जिससे जाहिर होता है कि किसी समय में धाकड क्षत्रियों का वैभव ऊॅचा रहा है। कुछ धाकड क्षत्रिय वंशज पृथ्वीराज तृतीय की राजसभा में धवल, सामन्त रहे थे जिनकी वीरता एवं वैभव का अनुभव ''पृथ्वीराजरासो'' ग्रन्थ की इस पंक्ति के द्वारा होता है- ''धब्बरे धाबर धक्करेै रण बंकरै।'' ''धाकड क्षत्रिय'' देश में नागर, मालव, किराड तीन उपसमूहों के रूप में प्रायः राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में पाये जाते हैं। ''धाकड'' श्री धरणीधर भगवान (बलदाऊ) जिन्हैं हलधर कहा जाता है, को अपना ईष्टदेव मानते हैं। श्री धरणीधर भगवान का नागर चाल क्षेत्र के मांडकला गांव में तथा जिला झालावाड के सुगर गांव में भव्य मन्दिर है। ऐतिहासिक वर्णनों एवं प्रमाणों के अनुसार बारहवीं शताब्दी से पूर्व सभी क्षत्रिय वंश शाखाओं के वंशजों को ''क्षत्रिय'' शब्द का ही प्रयोग होता था। लगभग बारहवीं-तेरहवीं शताबदी से राजवंशी क्षत्रियों को राजपूत तथा कृषिकर्मी क्षत्रियों को धाकड़ कहा जाने लगा। अतः धाकड सभी क्षत्रिय वंश शाखाओं में से बने हुए एक समूह का नाम है, जिनका मूल पेशा कृषि था। देशभर में धाकड जाति के लोग अधिकतर कृषि प्रधान ही मिलते हैं। पहले किसी की नौकरी करना धाकड जाति में घृणास्पद माना जाता था। ''उतम खेती , मध्यम व्यापार, कनिष्ठ चाकरी'' के कथनानुसार अब भी धाकड जाति में कर्मठ किसान पाये जाते हैं। वर्तमान में धाकड क्षत्रिय तीन उपसमूहों में विभकत हैं- नागर, मालव और किराड। इन उपसमूहों में परस्पर वैवाहिक सम्बन्ध एवं रोटी बेटी व्यवहार होता है। धाकड जाति में पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं है। धाकड जाति प्रायः राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में पाई जाती है।

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धाकड़ शब्द का शाब्दिक अर्थ

 

शाब्दिक अर्थ-

''धाकड '' शब्द धरखड या धरकट शब्द का अपभं्रंश है, जो समानार्थक हैं।

धरखड = धरती जोतने वाला समूह

धर =धरती (धरती जोतनेवाल ) कृषक

खड = जोतने वाला

कट =काटने वाला

धाकड क्षत्रिय = कृषक क्षत्रियों के समूह का नाम ।

धर =धरती (धरती वाले )कृषक

कड = वाले

धाक + अड =धाकड

धाक् =रौब (रौबीला,हठीला)

अड= अड ना, हठी

धा =धाय (पालन करना )

कड = वाले अर्थात अन्न धन पैदाकर पालन करने वाले क्षत्री (कृषक क्षत्री)

''भाष्कर'' ग्रन्थ के अनुसार

धाकड =धरती जोतने वाला या धरती के कण बिखेरने वाला।

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             धाकड़ उत्पत्ति एवं उपसमूह

धाकड पुराण एवं पुस्तक वस्त्रभूषण के अनुसार

महाभारत काल में योगिराज श्रीकृष्ण जो मुकट व वंशीधर रहे थे दाउबलराम जो हलधारण करने के कारण हलधर कहलाये ने पुरूषार्थी कृषकों को संगठित किया और कृषि कार्य को करते हुए क्षात्रधर्म का पालन करने के लिऐ प्रेरित किया, वे क्षत्री ही ''धाकड क्षत्रिय'' कहलाये। बलदाउजी को धरणीधर भी कहते हैं यह शेषनाग अवतार थे। उपरोक्त की पुनरावृति वि० सं.११४० में अजमेर के राजा बीसल देव के समय में हुई । जो कृषक क्षत्रीयत्व को भूलकर के कृषि कार्य में लगे हुए थे, साथ ही युद्ध में क्षत्रीयों के वीरगति को प्राप्त हो जाने से संखया कम हो रही थी। उस समय बीसल देव को उसके सहयोगी मालवा नरेश उदयादित्य परमार ने एक युक्ति बतलाई। तद्नुसार उन्होनें उन कृषकों को जो मूलतः क्षत्रीय ही थे, संगठित किया और उनके वह स्वयं ही अधिनायक बने। उस समूह का नाम उन्होंने धरा को खड करने वाला अर्थात् भूमि को जोतने वाला ''धरखड'' क्षत्रीय रखा। जो कालान्तर में परिवर्तित होकर धाकड कहलाया।

नागर चाल जागा की पोथी के अनुसार

चौहानों की २४ शाखाओं में से एक शाखा दाईमा चौहान से राजा धरणीधर हुऐ, उन्होंने शस्त्र छोडकर (राजकार्य छोडकर )कृषि कार्य प्रारम्भ किया। श्री धरणीधर से ही ''धाकड'' नामकरण हुआ। राजा धरणीधर के चार पुत्र थे-' (१)शारपाल (२) वीरपाल (३) विशुपाल (४)वावनिया। जिनके उतरोतर वंश से चार शाखायें हुई :- १. शारपाल-सोलिया मेवाडा धाकड २. वीरपाल- नागर धाकड ३. विशुपाल-मालव धाकड ४. वावनिया-पुरवीया धाकड (किराड) कृषि व्यवसाय को अपनाकर वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर बस गये। स्थान (क्षेत्र) विशेष के आधार पर भी नामकरण पर प्रभाव पड़ा जैसे-नागर चाल बूंदी की सीमा व नागौर परगने में जाकर बसे वे नागर, मालवा में बसे वे मालव एवं पूर्वउतराचल में जाकर बसे वे किराड कहलाये।

  लटूर जागा, कैथून जिला कोटा के अनुसार 

राजा बीसलदेव जी ने गढ अजमेर में राज किया। दिल्ली में राज किया । बीसलदेवजी के तपोधन पुत्र हुआ। तपोधन के धरणीधर पुत्र हुआ। धरणीधर के अजमल जी पुत्र हुआ। अजमलजी की धर्मपत्नी पूरणमलजी की कान कंवरबाई की पढीपात की पुत्री। जिनका पुत्र-नागराज जी, कानाजी, माधौजी, नेनगजी हूवा। दूजी धर्मपत्नी कीवसी की केसरबाई पोखरणा ब्राह्मण की। बेटा-धारू जी हुवा। १- नागराज जी- अन्तरवेद की धरती, नागर चाल में बंटया जिससे नागर धाकड हुए। १४० गोत्र। २- कानाजी- पूरब की धरती में बंटया जिससे किराड धाकड हुए। किराड गोत्र ३६० ३- माधोजी-डीडवाना की धरती में बंटया जिससे मेसरी (महेद्गवरी)धाकड हुऐ। गोत्र १४४ ४- नेनगजी-मालवा देश में बंटया,जिससे नथफोडा धाकड हुऐ। गोत्र १४२ ५- धारूजी -मालवा देश में बंटया, जिससे जनेउ कतरा माली (मालव)धाकड हुए। गोत्र१०९ ''उक्तांकित जागा लेखों के अनुसार धाकड जाति चौहान बंशी होनी चाहिए, जबकि धाकड जाति में सभी क्षत्रिय वश पाये जाते है। जागाओं की लिखने की लिपि एक अलग ही प्रकार की होती है जिसे मैं अपने शब्दों में '' अद्गुाद्ध लेखन लिपि ही कहूंगा। इन जागाओं के लेखों में ''कही की ईट कही का रोडा, भानवती ने कुनवा जोडा'' वाली कहावत चरितार्थ होती हैं। जिसके कारण इनके लेख ऐतिहासिक तथ्यों से पूर्णतया मेल नहीं खाते हैं।'' अन्ततः उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि धाकड जाति क्षत्रीय वर्ण की है। ''धाकड'' कृषि कर्मी क्षत्रीयों के एक समूह का नाम है, जिसमें सभी क्षत्रीय वंश पाये जाते हैं। धाकड समूह का उदभव महाभारत काल में हुआ वि०सं० ११४० में अजमेर के राजा बीसलदेव धाकड (धरखड)समूह के अधिनायक बने। कालान्तर में यह समूह धाकड जाति के रूप में परिणित हो गया। अजमेर के राजा वीसलदेव के समय में भंयकर युद्धाग्नि या अकाल से पीडित होने के कारण अथवा यह कहिए किसी भी कारणवश धाकड क्षत्रिय अजमेर छोड़कर यत्र-तत्र बस गये। पृथक-पृथक क्षेत्रों या स्थानों पर बसने के कारण क्षेत्रों या स्थानों के नाम पर ही पृथक-पृथक उपसमूहों का नामकरण हुआ ।

मालवा जागाओं की पोथी के अनुसार

अजमेर के राजा वीसलदेव चौहान थे। उनके समय में ब्राह्मणों का बड़ा बर्चस्व था, वह राजा से रूष्ट थे। उन्होंने कर एवं लगान देना बन्द कर दिया। तब बीसलदेव ने ब्राह्मणों को वश में करने के लिए मंत्री की सलाह से एक यज्ञ का आयोजन किया यज्ञ में नो लाख छत्तीस हजार ब्राह्मणों को ब्रह्मभोज का आयोजन था। भोजन में मास मिलाया गया जिससे कि उनका ब्रह्मत्व नष्ट हो जावे। जब ब्राह्मणो को भोजनपरोस दिया गया तब भोजन करते समय आकाशवाणी द्वारा उनको मालूम हुआ कि भोजन में मास मिला हुआ है, ब्राह्मण उठ खडे हुऐ और क्रोधित होकर श्राप देने लगे कि-''हे राजा तेरा राज्य नष्ट हो जायेगा।'' श्राप देकर प्द्गचाताप करने लगे, कुछ ब्राह्मणों ने आत्महत्या भी कर ली शेष सब मिलकर धरणीधर ऋषि के पास विचार विमर्श करने पहुंचे। सारा वृतान्त ऋषि को सुनाया। ऋषि ने कहा कि तुम धर्म से विचलित हुऐ हो, तुम्हारा ब्रह्मत्व नष्ट हो चुका है। अतः अब तुम सब मिलकर एक साथ रहो तुमने धोखे से अभक्ष का भक्षण किया हैं। जिसके कारण आज से तुम्हारी जाति धाकड कहलायेगी। उस समय ब्राह्मणो ने अजमेर छोडने की प्रतिज्ञा की तथा स्वेच्छा से कृषि कार्य को अपना लिया। ''उपरोक्त लेखन से ऐसा प्रतीत होता है कि राजा बीसलदेव द्वारा किये गये यज्ञ आयोजन में सम्मलित होने वाले ब्राह्मण निराक्षत्री रह गये। जिन्होंने स्वेच्छा से कृषि कार्य को अपनाकर क्षात्रधर्म का पालन करनेलगें तथा अजमेर राज्य छोड कर यत्र तत्र बस गये।''

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उपसमूह 

नागर 

अजमेर के राजा बीसलदेव के शासन काल में उत्तर पद्गिचम की तरफ खैबर के दर्रे से मुसलमानों के लगातार आक्रमण के कारण साथ ही भीषण अकाल पड़ने के कारण उसके राज्य में अव्यवस्था उत्पन्न हो गई। किसान तबाह हो गये, खेती बाडी नष्ट हो गयी, जनजीवन त्रस्त हो गया। फलस्वरूप वहां से अधिकाशं कृषक क्षत्रिय (धरखड-धाकड)पलायन कर सुविधानुसार बस गये। जो नागर चाल (उण्यिारा बूंदीकी सीमा ) और नागौर परगने में जाकर बसे थे, मूलतः ''नागर'' धाकड कहलाये। वर्तमान में जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली, आगरा, मथुरा जिलों में भी नागर धाकड रहते हैं।

मालव

मालव नाम की एक प्राचीन जाति थी। मालव जाति के लोगों ने आकर (पूर्वी मालवा), अवन्ति (पद्गिचमी मालवा),उज्जैन तथा उसके आस-पास के भागों पर अपना अधिकार जमाया तो उन्होंने अपना अधीन किये हुए इलाकों का सामूहिक नाम मालवा प्रदेश रखा। प्रतापगढ, कोटा, झालावाड तथा कुछ हिस्सा टोंक का मालवा प्रदेश के अर्न्तगत ही था। मलवा पर परमार वंशी क्षत्रियों का भी राज्य रहा। वि.सं. १०२८ से १०५४ तक के समय में मालवा का परमार वंशी राजा ''मुंज'' रहा। उसके दरबार के पंडित हलायुद्ध ने -- पिंगल सूत्र विधि'' में मुंज को ''ब्रह्म क्षत्र'' कुल का कहा है। ब्रह्मक्षत्र शब्द का अर्थ है, जिसमें ब्रह्मत्व एवं क्षत्रत्व दोनों का गुण विद्यमान हों या जिनके पूर्वज ब्राह्मण से क्षत्रिय हो गये हों। अतः राजा मुंज के समय तक परमार वंद्गिायों को ब्रह्मक्षत्र कहा गया। प्रसिद्ध इतिहासकार डा. दशरथ शर्मा ने बिजौलिया लेख के आधार पर चौहानों को ब्राह्मणों की सन्तान बतलाया है। कर्नल टांड ने चौहानों को विदेशी माना है। प्रतिहार वंशी क्षत्रियों को जब बौद्ध धम्र से वापस वैदिक धर्म में दीक्षित कर (अग्नि साक्षी संस्कार कर ) लिया गया तो उनके मूल पुरूष को यज्ञप्रतिहार कहा गया। इसकी एक शाखा मालवा में जाकर रही थी। ''पृथ्वीराज राशो'' में परमार, चौहान, सौलंकी, प्रतिहार (परिहार )वंशों को अग्निवंशी लिखा है। अग्निवंश का तात्पर्य है कि इनके मूल पुरूष क्षत्रिय नहीं थे, जिससे उनको ''अग्नि साक्षी'' का संस्कार कर क्षत्रियों में मिला लिया । मालव धाकड अग्निवंद् गाी क्षत्रिय है। अजमेर के राजा वीसलदेव ने ब्राह्मणों को वश में करने के लिये एक यज्ञ किया था। उस यज्ञ में सम्मिलित होने वाले ब्राह्मणों (ब्रह्मक्षत्रों) को धोखे से भोजन में मांस खिला दिया गया। जिससे उनका ब्रह्मत्व नष्ट हो गया उनका ब्रह्मत्व नष्ट हो गया उनका ब्रह्मत्व नष्ट हो जाने पर जो अजमेर को छोडकर मालवा प्रदेश में आकर बस गये और कृषि कार्य करने लगे या यवनों के आक्रमण के कारण जो कृषि कर्मी क्षत्रीय मालवा में आकर बस गये तथा जो आरम्भ से ही मालवा प्रदेश के रहने वाले थे, कृषक क्षत्रीय मालवधाकड कहलाये। मुखयतः मालव धाकडों में अग्निवंशी क्षत्रिय हैं। इतिहासकारों ने परमार (ब्रह्ममक्षत्र)चौहान,सोलंकी प्रतिहार क्षत्रीय वंशोें को अग्निवंश में माना है मालव धाकडों को ''मेवाडा'' एवं ''सोलिया'' भी कहा जाता है। यह फर्क क्षेत्रीयतानुसार प्रतीत होता है।

किराड़

जोधपुर राज्य के परगने मालानी में बाडमेर से १० मील उतरपद्गिचम में प्राचीनऐतिहासिक नगर किराडू, किरारकोट या किरारकूट (किराडू) कहा जाने वाला ध्वंशावद्गोष के रूप में स्थित है। यहॉ परमार शासकों के मन्दिरों के खंडहर हैं। मूलनगर वीरान हो चुका है। किराडू परमारवंशी क्षत्रीयों की राजधानी रही थी। किराडू का संस्थापक एवं प्रथम शासक तथा किराडू का परमार वंश का प्रथम ऐतिहासिक पुरूष सिन्धुराज वि०.सं०९५६ से ९८१ तक रहा। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार ९वीं सदी से लेकर १३ वीं सदी तक किराडू पर परमार,सोलंकी वंशी क्षत्रीयों का शासन रहा । यवन आक्रमण काल में यवनों का भारत में मुखयतः समृद्वि गूजर और मालवा प्रदेश की ओर जाने का मार्ग किराडू होकर ही था। अतः सबसे पहले यवनों का सामना किरार कोट (किराडू)को ही करना पडता था। अतः (कि=करना, रार=लडाई कोट =किला)इस नगर का ''किरार कोट या किरार कूट'' नाम पडने का यही कारण है। किरार कोट या किरार कूट का रूपान्तर शब्द किरारू या किराडू कहलाया। किरारू का अर्थ है (कि=करना, रारू =लडाकू)अर्थात लडाई करने वाले। राजस्थानी भाषा में ''र'' का उच्चारण ''ड'' किया जाता है। जिसके कारण किरारू शब्द को किराडू कहा जाता हैं।

 




171 comments:

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    1. Wrong history,kiraro ka rajya karoli tha,jishe jadono ne hadap liya Jo inki najayis aulad hai

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  2. jay dharnidhar. jay dhakad samaj..

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    1. Dhakad (kirar) kish बर्ण mein aate Hain

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    2. Mp, rajasthan main obc main are hain or Uttar Pradesh main general category main aate hain

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  3. jay dharnidhar. jay dhakad samaj..

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  4. Bhaio Mera ak shujabh hi ki sabhi bhai Dhakar sad ki jagah par kirar likhana shuru kar de to hamare samaj ka ak sangthan ban jayega

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    2. भाई जी मैं क्षमा चाहता हूँ, पर मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं कि किरार एक राजपूताना वंश है, पृथ्वीराज और गहरवाढ के बीच मे युद्ध हुआ था उस समय,करीब 3 लाख क्षत्रिय वीरगति को प्राप्त हुए थे, उस समय जो करीब 3 लाख औरतें विधवा हुई, तब उस समय जो उदारवादी राजपूत थे उन्होंने तय किया कि विधवा औरतों का विवाह किया जाए, तो कुछ राजपूत इस बात को नहीं माने, जो उदारवादी राजपूत थे उन्होंने यह माना, तब से किरार राजपूत नाम बना। आप अलीगढ़, हाथरस और उत्तरप्रदेश के अन्य राज्यों से पता कर लीजिए। और किरार अग्निवंशी हैं। जो चौहान लिखते हैं, यदि कोई शक हो तो राजस्थान वाले पटिया आते हैं उनसे पूछ लेना। भाई जी।

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    3. fir nagar,,,dusri jati ke hai kya?

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    4. Dhanraj dhakad
      Bhanpura Mandsaur malva

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  5. Hmm Sb Ek Hi Dhakad Hai. Jay Dhakad, Jay Dhakad Samaj Jay Hind.

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    1. Ye kabhi nhi ho skta.......ye galat kh rhe ho ....ye Kewal dakhosala Baazi h ....

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    1. rajput sab eak hai nahi koi chhota nahi koi bara hai

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  7. जय धरणीधर!
    जय धाकड़ !!

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  8. Samaj tut gya h ise jodne ka prayas kre svi ......tvi hmari community apna astitv me aayegi ...strength nd unity hi hmari taqat h .......
    Present ye h ki strength to h but unity nhi h ....so plzz guys next generation ko unit me lane ka pryas kre hm sab milkr .....kyuki jo eksath h whi powerful h....

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    1. हमे मिलकर समिति बनानी चाहिए
      संगठन banana hoga

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  9. Samaj tut gya h ise jodne ka prayas kre svi ......tvi hmari community apna astitv me aayegi ...strength nd unity hi hmari taqat h .......
    Present ye h ki strength to h but unity nhi h ....so plzz guys next generation ko unit me lane ka pryas kre hm sab milkr .....kyuki jo eksath h whi powerful h....

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  11. dhaked logo ek nivedan hai ki aap Dhaked sAmaj ko unity n sath rhe or powerfull rhe .aap sabi bhai logo se requst hai ki kripa krke Akta k sath rhe ..jai kisan jai Dhaked

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    1. Iss chakkar mein hum barbad Hain
      Dhakad, dhakad hi hota hain

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  13. मेरी जाती रोर (रोड) है राजा रोर ओर सोरठ का किससा
    (नौटंकी) परसिद है जो राजा रोर ३६००साल लगभग पहले
    हुये है पृथवी राज तृतीय हुये है हमारी रोर जाती के ही है
    तराईन (तराोरी) हमारे रोको के चोहान गोञ के १२गांव है
    मौ:न:८२९५२०३४५४है

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    1. रोड के 84 गाँव हरियाणा में भी है जो ज्यादातर कुरुक्षेत्र में है

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  14. युवाऔ के भविष्य के लिए समाज के ईतिहास को संरक्षित कर युवाओ तक पहुचाना है

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  15. जय धाकड़ जय धरणीधर
    आयुष धाकड़ भोपाल मध्यप्रदेश।।
    9669466402
    जय श्री राम।।

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  16. Nagar dhakad nath kyu nhi pahnte

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  17. धाकड़ का धमाका
    धाकड़ विनोद भोपाल मध्यप्रदेश

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  18. धाकड़ का धमाका
    धाकड़ विनोद भोपाल मध्यप्रदेश

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  19. 🙏🙏🙏Jai dhardidhar maharaj
    Dhakad samaj🚩🚩🚩

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  20. Bhai sab ek no bhavuk ho uthe ho🚩💪 dhakad samaj ki history pad ker 🔥
    Jai dharnidhar Jai rajputana jaat Jai parshuram seekuch na hona hai bhaiyaa😁 sine me jigar hona chahiye tab tum apni samaj ka name uccha karpaoge otherwise hum Jo bhi h 👔 Hume us ka bhi proud hona chahiye I m also having a proud to be a dhakad🔪 that my caste play a major role in Indian agriculture growth for serving food to people😊 finally , me to Jai dhakad samaj !!!

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  21. Excellently presented 🏆👍

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  22. 2री सदी से 5वीं सदी तक एक छत्र राज करने वाली जाति है तक्षक नाग के वंशज हैं सिर्फ उच्च वर्ग में ही शामिल हैं बिल्लाल सेन ने धकेश्वरी मन्दिर का निर्माण करवाया था उसने ब्राह्मणों को एक साइड करके पुरोहित व ब्राह्मण के स्थान पर ब्रह्मछत्रीय समाज को सभी दाईत्‍व इसीलिए दे दिए थे धाकड़, ढेकहा (राजपूत), ढाका (जाट व राजपूत) धाके (मराठा, दामले 43) कभी एक ही थे समय, स्थान, स्थिति व भाषा के अनुसार बटते चले गए यहां तक कि ढेका (अहोम छत्रीय जो कलिता, आसाम) भी इन्ही में से हैं अभी तथ्यों के साथ खोज जारी है 2002 से निरंतर खोज कि जा रही है.
    धन्यवाद

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    1. रोड़ भी है भाई जी इनके पुर्वज

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  23. Jai balram
    History purana hai ki dhakar{kirar}ek nam nahi nahi brand hai

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  24. Kirar samaj ko apni ek hat ke pahchan banani hai jo sari dunia dekhti rahe

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  25. Kya kirar dhakad rajpoot Kshatriya hote hai.

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    1. भाई धाकड़ का नहीं पता पर जो किरार चौहान लिखते हैं वो राजपूताना वंश से हैं।

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  26. Kya kirar dhakad rajpoot Kshatriya hote hai.

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  27. Jai dahranider
    Jai Balram
    Jai dhakad

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  28. Sabse pahle sab ko aage aa kr ke nagar malav kirar ko katam krna hoga aur sirf dhakar bolna hoga is se hamri unity hogi jo bhi nhi mane action le taki sabhi log ek sath aa salhe

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  29. Jai dharnidhar
    Jai dhakad समाज
    Dhakad khstriya

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  30. jay Dharnidhar jay dhakad jay takur

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  31. Jai Shri dharnidhar
    Jai dhakad.....
    Kira Ankit dhakar Bhopal Madhya Pradesh....9584663995

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  32. धाकड़ क्षत्रिय हमेशा आगे बढ़ ते रहे सुख रहे (मैं हरेन्द्र सिंह धाकड़ )

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  33. jai dharnidhar maharaj jai dhakad samaj jai malav dhakad

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  34. Hum sir name mehta lagate lekin hum kirad h aur hmari th. Shahabad dist. Baran rajasthan

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  35. Hum sir name mehta lagate lekin hum kirad h aur hmari th. Shahabad dist. Baran rajasthan

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  36. jai dharnadhar G jai dhakad samaj

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  37. जय धारणीधर - जय धाकड़ जय बलराम
    We should have to come together make our unity.. I would like to create whatsapp group pls share your number
    Aakash Malav ( Mallav) pune

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  38. किरार राजपूत जाति है जो कारोड़ गौञ के कानहण चंद़वंशी राजा के वंशज है न कि नागर मालव धाकड़ के इतिहास में जौ लिखा है गलत लिखा है

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    1. Kya apke pass iska koi pruf he
      Agr he to yh hmara no. He plz call me
      7909912751

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    2. Ha shi kha,hmara rajya karoli tha Jo in jadono ne hadap Lita Jo kirar raja ki najayg aulad the,ye bat mere dada ji btate the

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    3. Bhai iske upar koi proof mile to avasya bataen

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  39. Rajesh dhakad
    M.p.
    Dist.Neemuch
    The.Manasa
    Mob.7047660181

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  40. Jay balram jay kirar samaj ka gaurav ucha bana rhe

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  41. Dhakad samj ki jay ho vijay ho

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  42. जय धरणीधर जय धाकड़

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  43. Sabhi Akshtriya ek ho Jay
    Ror(road),dhakad ,lodhi,rawana,oad,sabhi Rajputo ke ek jatti hai

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    1. मैं रोड़ हूं अगर आप इतिहास में रुची रखते हैं तो फोन कर सकते हैं 9045161632

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  44. भाई आप से बात हो सकती है मेरे पास और भी इतिहास है आपका 9045161632

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    1. Ha me aap se bat krna chahta hu aap hme btaiye

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  45. Dhaka name nhi brand hai brand. 😘😘

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  46. Thakur ki thakuras Sada kayam rahe

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  47. जय धाकड़ जय धरणीधर देव
    ललित धाकड़ सेमली धाकड़ जिला राजगढ़ (ब्यावरा) मध्य प्रदेश

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  48. जय धरणीधर जय धाकड़ अर्जुन नागर खजूरी गोकुल खिलचीपुर जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश

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  49. Nhi ye history sahi nahi,kiraro ka rajya karoli tha,aur jadone inki najayis aulad,jinhone dhoke se enka rajya chin liya,aur ye log kheti badi karne lage

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  50. जय धाकड़ समाज

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  51. Sonu ahirwar kurryai vidihsa jila mp6266601424

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    1. Maine toh socha dhakad Kewal Kota Rajasthan me hi rahte hai 😁

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  52. Monika Dhakad Mohini Chauraha

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  53. Agli generation ka sharmane Dhakad hi lgana bhaiyon
    Nagar kirar malav ko katm karna he

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  54. Me बाविस्या क्षेत्र से हू Indore ke Ilake se my no.7909450101

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  55. धाकड़ कुलदेवी कोन हे

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  56. Iformation is very good but some Gotta can not be added in this.So please add and refresh. Thanking u

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  57. मै क्षत्रिय किरार मोनू धाकड़ जिला मुरैना मध्यप्रदेश mb nom 9691619191

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  58. This comment has been removed by the author.

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  59. अच्छा लेख है धाकड़ समाज के बारे में बहुत अच्छा परिचय है सभी के लिए
    धाकड़ मैट्रीमोनी में आपका स्वागत है।
    आज ही

    धाकड़ मैट्रीमोनी

    से जुड़े।
    ऐप डाउनलोड करे औऱ पंजीयन करे

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  60. Sab se pahle yah nishchit Kar Lena Chahiye ki Nagar, Malav avm Kirar ek hi hai ya nahi. Kyoki Yaha par sabki APNI dhapli apna raag hei.jo ki galat hei.sab Apne aap ko bada mante hei koi bhi Kisi mei milna Nahi chahte.sirf ek hone ki Duhai Di jaati hei avm Kori basmate hi Hoti hei Kai Sammelan hote hei aur Marija shunya to EKTA Jaise ho Sakti hei San Apne Apne swarth mei lipt hei samaj ke lite Kisi ke pass samay Nahi hei.

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    1. Video YouTube par dal dengai kuch time bad

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  61. राजस्थान में बाड़मेर को बसाने वाले राजा बरार देव के पिता का नाम धरणीधर था और उन्होंने ही किराडू मंदिर बनवाए थे

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    1. Bhai ye apko kaise pta please mujhe btao please 😔

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  62. Jay dhakad Jay dharnidhar. मेरा आप सभी धाकड़ समाज के लोगों से जोकि नागर मालव किरार लिखते हैं उनसे विशेष निवेदन है कि वह अलग अलग ना जाकर एक ही जगह बैठे और समाज का एक नाम धाकड़ समाज ही लिखो क्योंकि हमारा मूल समाज धाकड़ समाज है धाकड़ समाज के 3 उप समूह है नागर मालव किरार समाज का नाम धाकड़ समाज इसका इतिहास गवाह है जय धाकड़ जय धरणीधर

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  63. जय धाकड़ जय धरणीधर
    RAM LAKHAN NAGAR भोपाल मध्यप्रदेश।।
    9460938957
    जय श्री राम।।

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  64. Jay dharnidhar jay hind
    Me m.p ke Ratlam se...9977221885....

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  65. Nagar dakad samajki kuldevi ki jankari nahi hai

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  66. Nagar means jiske vichar pariskrit h
    Na means nhi
    Gar means jahar
    Jisme kaliyug k jahar kam krodh mad lobh nhi h
    Bahi Sahi Nagar h

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  67. Dhakad samaj vistrat ruplia hue he union banakr jodne ka kary krna he dhakad samaj ke prachar prasar ki jarurat he

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  68. New gana banao dhakad samaj ka Me Aadarsh Dhakad

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  69. Bhai is page ko .org me convert kr do taki ise Wikipedia pr dala ja sake

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  70. जय धरणीधर जय धाकड़

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  71. Bhai koi ye to batao ki kiradu temple ka rha kon tha kirar caste khatriya hain ki nhi agar khatriya hain to rajput hain ki nhi agar rajput hain to Thakur hain ki nhi 😞

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  72. यह ग़लत history Mt daalo Kirar Alag hai Nagar Malav alag

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  73. Jai dhakad 🙏🙏🙏🙏🙏

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  74. भाई में दीन दयाल धाकड़ आगरा से
    हाल निवासी ललितपुर उत्तर प्रदेश
    मेरा गोत्र धामरौला है क्या कोई भाई मुझे मेरी कुलदेवी या कुलदेवता की सही जानकारी दे सकता है

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    1. धाकड़ गोत्र कोई भी हो कुरुबंश देवता बलराम कुलदेवी मां गंगा

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  75. हर कोई कुछ भी बता रहा है bc नागर मालव का पता नही लेकिन जो रियल किरार हैं वो ठाकुर जाति से हैं और up, महाराष्ट्र, उत्तराखंड आदि राज्यों में genral में आते हैं और राजपूतों में ही शादियां होती हैं उनकी ये क्षत्रिय हैं और हां विनम्र निवेदन है कि लोधी माली आदि जाति को अपनी जाति में सम्मिलित करकर और उन्हें अपने बराबर बता कर किराड़ जाति को बदनाम ना कराएं ये लोधी, काछी, कोरी जाति ही हमें बराबर बता रही हैं किराड़ ठाकुर थे ठाकुर ही हैं और बता दूं किराड़ जाति बलराम जी के ही वंशज हैं इसमें कोई संदेह नहीं है पूरे बाड़मेर पर किराड़ राजपूतों का राज रह चुका है और समय अनुसार इस जाति में कई और क्षत्रिय जातियां भी सम्मलित हो गई
    जय ठाकुर राज

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  76. VIKAS ROADLINES SURAT
    9521415727

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  77. Praveen dhakar
    Karauli Rajasthan

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  78. Bhai muje bhi kucha talas h malwa Sthan ki

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  79. Bhai logo mere ko bhi ak Sthan Ki Talash Hai jo malwa h baha hamare purvaj Rahte the

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  80. Bhai mere ko bhi Malwa jagah sthan Ki Talash Hai Malwa kahan hai kaha padta hai kon si district Mein Hai kon se Raj. me h m vahan Jana chahta hun

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  81. Jo bhai janta ho bo call ya message karde please🙏🙏🙏🙏

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  82. Good details has been mentioned, Even I was also not aware about this, but still bit confuse like Dhakad/Dhaker, Nagar, Malav, Kirad....all fine but what about Dhakre, Does Dhakre also belong to Dhakad or does dhakad's belongs to Dhakre... can any plz rectify it ?

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  83. Ateda Nagar Dhakad gotra ke kul bherav kha he rajsthan me. kisi bhi Bhai ji ko pta ho to mujhe bataye
    Dinesh dhakad Dewas MP
    Mobile 9098611789

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  84. जय धाकड़ जय धरणीधर 🚩🚩

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  85. Dhakad jesa koi nhi ho sakta
    Isliye ham Dhakad sabse aache hai r

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